સુગંધ શિક્ષણની
Friday, August 04, 2023
સુગંધ શિક્ષણની: વસુધૈવ કુટુંબકમ કવિતા
વસુધૈવ કુટુંબકમ કવિતા
एक है धरा एक है गगन
एक ही सब के सितारे है ।
एक है सूरज एक है चाँद
एक ही जल के किनारे है ।।
नात जात और धर्म सम्प्रदाय
चाहे जितने अनेक है ।
सुन्दर और हरियाली इस
वसुधा के पुत्र एक है ।।
वैसे तो हम एक ही माता
एक पिता के दुलारे है ।।
एक ही सूरज......
रहो दूर इस स्वार्थवाद से
जो भाई से भाई लड़ाते है ।
ये मेरा ये तेरा कहकर
दूरियों को बढ़ाते है ।।
मिली है वसुधा हम सबको
फिर ये कैसी दीवारे है ।।
एक है सूरज.....
आओ हम सब मिलकर एक
सुन्दर सा जहाँ बनाते है ।
"वसुधैव कुटुम्बकम" की भावना फैलाते है ।।
हम सबको मिलकर ये तोड़ने
सरहद के मीनारे है ।।
एक है सूरज.....
पँख लगाकर प्यार की हम
वसुधा को आज उड़ाते है ।
Borderless और स्वर्ग से सुंदर
इस धरती को बनाते है ।।
एक दूजे की लाठी है हम
एक दूजे के सहारे है।।
एक है सूरज.....
रचनाकार -
हितेष के पटेल (शिक्षक)
Endhal Primary school
Ta. Gandevi
Di. Navsari
8141175103